देश को कर्क रोग(cancer) से बचाये !

क्या आपको कभी फोड़ा हुआ हैं ? बाल तोड़ या फोड़ा (boil), जिसे स्किन एब्सेस (skin abscess) या फर्नकल (furuncle) भी कहते हैं। यह एक दर्दनाक पस से भरी हुई गांठ होती है जो त्वचा की सतह पर बढ़ती है। फोड़ा मटर जितना छोटा भी हो सकता है या गोल्फ बॉल (golf ball) जितना बड़ा भी हो सकता है और यह शरीर के किसी भी अंग पर हो सकता है।

आज हमारा देश भी विभिन्न छोटे-बड़े फोड़े-फुंसियों से पीड़ित होकर कराह रहा हैं | विभाजन कारी देशी बेक्टेरिया के संग-संग पड़ोसी-पड़ोसन भी रह रह कर विषाणु छोड़ रहे हैं | संक्रमण का प्रकोप ये हैं, कि हमारे कुछ डिग्रीधारी बुद्धिजीवी वैसाख-नंदन स्वतंत्र  विचारधारा की दुहाई देकर भारत से ही आजादी की मांग दुहरा रहे हैं | चुनाव हारे तो EVM पे ठीकरा फोड़ते हुए, चुनाव आयोग को धृतराष्ट्र की उपाधि देना, कश्मीर में जनमत संग्रह की बाते करना, लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए माननीय प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर अर्नगल बयानबाजी करना, बात-बेवात नफरत और अफवाह फैलाकर दंगे करवाने की साजिसे रचना ये कुछ छोटे बड़े फोड़े-फुंसियों की एक लघु सुची हैं | विभिन्न धार्मिक गैंग द्वारा फेसबुक, ट्विटर, यूटूब जैसे सामाजिक मंच पर नफ़रत से लबालब अपशब्द और आग लगनेवाले पोस्ट और कमेंट्स पढ़कर खुद पे घृणा सी आती हैं | बीबीसीहिंदी(BBC Hindi) जैसी जिम्मेवार संस्था भी अपने फेसबुक पेज पर उत्तेजनापूर्ण पोस्ट के द्वारा नफ़रत की लोकप्रियता हासिल करने से बाज नही आती | जितनी नकारात्मक रिपोर्टिंग उतने ज्यादा उतावले धर्मांध, कुछ हिन्दू-मुस्लिम इतिहास के सच्चे झूठे तथ्यों के संग एक दूजे को माँ-बहन की गंदी गलियां देते रहते हैं |

विगत दिनों की दो घटनाओं ने मुझे झकझोर कर रख दिया | पहला जासूसी के झूठे आरोप में  पाकिस्तान की जेल में कैद कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा का ऐलान किया गया जाना तथा दूसरा पाकिस्तान की फंडिंग के बदोलत कश्मीर के लफंगे पत्थरबाजो द्वारा शांति भंग करने का दौर जारी रखते हुए चुनाव के दौरान कश्मीरी भटके युवाओं का यह ग्रुप सेनाओं साथ हिंसा और अपमानजनक वाहियात वर्ताव कर रहा है | वह बंदुक लिए होने के बावजूद भी हमारा कोई जवान इन लफंगों को प्रतिक्रिया नहीं देते हुए अपमान सह रहे हैं। सरहद पर और देश के अंदर शांति, सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए आंतकियों से लड़ने वाले सुरक्षाबलों को अपने देश के अंदर भी विरोध का सामना करना पड़ता है और तो और उनके साथ मारपीट तक होती है, इससे दुखद एवं निंदनीय और क्या हो सकता हैं ? आज फिर हमारे वीरो ने 21 वी शताब्दी के अस्थिर कश्मीर में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की पंक्तियों से हमे साक्षात्कार करवा दिया :

क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित, विनीत, सरल हो।

कुछ मित्र सेना की सहनशीलता की वाहवाही कर रहे हैं, वही मानवाधिकार के राग आलापने वाले कई मेमने अपने बिलो में दुबके पड़े हैं | मेरे फेसबुक वाल से:

अरविंद केजरीवाल, हार्दिक पटेल, कन्हैया कुमार, उमर खालिद, गुरमेहर कौर जैसे कश्मीर की आजादी के समर्थको और उनके अनुयायी बुद्धिजीवी फसबूकिया क्रांतिकारियों को मेरी चुनोती हैं :
आप सब ने निर्दोष कुलभूषण जाधव पर चुप्पी क्यों साध रखी हैं ?
बात बेवात मानवाधिकार की दुहाई देने वालों, सैनिकों पर हुए वाहियात हरकतों के दौरान आपकी जमीर और मानवाधिकार कहा थे ?

काश,😪 काश पाकिस्तान में भी कोई आपलोगों जैसा होता। कोई तो छाती पीटकर हमारे कुलभूषण की आज़ादी मांग रहा होता।

 

अंतिम निवेदन उन तमाम जयचंदों से जो वायरस से लड़कर देश को फोड़ा-फुंसी मुक्त तो नही कर सकते, मगर प्रतिरोध(Resistance) क्षमता को कम करने के लिए दीमक की भाति अपनी भूमिका अदा करते हैं : “या तो आप मुख्यधारा में वापस आ जाये, अन्यथा आपको भारत से दूर जहा अधिक प्यार मिल रहा हैं, सहर्ष जा सकते हैं |” आज समय देश के प्रधान चिकित्सक से मांग कर रही हैं कि शीघ्रातिशीघ्र उचित और प्रभावशाली चिकित्सा द्वारा देश रूपी देह को फोड़े के पस की दर्दनाक पीड़ा से  मुक्त करके कर्क रोग(cancer) से बचाया जाये, चाहे इसके लिए कोई भी पद्धति यथा: आयुर्वेदिक, यूनानी, एलोपेथिक अदि-इत्यादि का अनुसरण क्यों न हो ? क्योंकि गयाप्रसाद शुक्ल ‘स्नेही’ जी ने हमें बताया हैं:

जो भरा नहीं है भावों से
बहती जिसमें रसधार नहीं
वह हृदय नहीं है पत्थर है
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं |

© Pawan Belala 2017

15 thoughts on “देश को कर्क रोग(cancer) से बचाये !

  1. you write very well.. different expression is not necessarily, a boil. it is simply diversity of opinion. some genuine some opportunistic.

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद वर्मा जी….☺
      वर्मा जी का ब्लॉग….. बहुत ही सुंदर नाम दिया हैं अपने अपने ब्लॉग का👌

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      1. ☺☺☺☺☺
        और कोई नाम बूझ ही नही रहा था
        और जो भी नाम सोचा था वो सब के सब plot पहले ही बिक चुके थे बहुत देर की माथापच्ची के बाद बस यही नाम आया दिमाग में

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      2. सही हैं भाई, जब गुप्ता जी और शर्मा जी का दुकान हो सकता हैं तो वर्मा जी का ब्लॉग क्यों नहीं😂😀😀
        एनीवे, आप लिखते अच्छा हैं…! वर्मा जी का ब्लॉग भी चल पड़ेगा 💐

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