वैलेंटाइन वीक का आज 5वां दिन हैं, जो प्रेम शास्त्रों में प्रोमिस डे के रूप में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं।सुबह से ही फ़ेसबुक, व्हाट्सएप, hike के अबतक ग्यारह चक्कर लगा चुका हूँ। तुम्हारी एयरटेल वाली नम्बर, जिसके लास्ट में 143 थी, उसपर भी अपनी जिओ से कई बार प्रयास कर चुके हैं। जिओ-एयरटेल के मिलाप की कोशिश में असफलता का स्वाद चखने के बाद से…पता नहीं क्यों…… तुम कैसी हो, ये चिंता आज कुछ ज्यादा ही बैचैन सी कर रही हैं मुझे।
अब देखो न 11महीने के इंतजार के बाद जिस फरवरी में हम-तुम इश्क़ फरमाया करते थे, आज सर्दी-जुकाम हमको फारिया के डाक्टर बाबू और फार्मा शॉप का चक्कर लगवा चुकी हैं। “अअअअ…..आच्छी” उफ़्फ़ रह रह कर आती इस “ख्खखखक…. खः ख खः ख़”खांसी ने न जीवन में अफीम बो दी हैं। नाक में अंदर जलन सी हो रही हैं, गले में खसखस संग सर भारी-भारी सा लग रहा हैं, और इन सबके समान्तर, तुम्हारी कमी में दिल रूठकर दिल्ली हो धरने पर बैठा हैं। सबकुछ जल्द से जल्द सही सलामत हो जाय, इसके लिए कल से ही सुबह-शाम चवनप्रास के संग बड़ी-बड़ी और मोटी-खोटी सी टेबलेट्स व कैप्सूल बड़ी चाव से निगल रहा हूँ |
अरे, ओई हमारी डाक्टरन अब तोहसे take care और गेट वेल सून सुनने के लिए ये सब शेयर नाही करत हैं..समझी ! कोउन ऊ कोउन कहते हैं… hug! हाँ एक ठो झप्पी देई दोऊ। यदि हमको जिन्दा देखना चाहती हो तो, वरना जापना राम नाम सत्य हैं …!
का तू नहीं आ सकती हमारे पास…कोउनो बात नही डयुडनी। एक काम करते हैं, आज रात को न हम जल्दी सोयेंगे…जल्दी माने वही 8 बजे के आसपास…! और तुम एक काम करना… दुनिया से खुद को छुपाकर मेरे सपनों में चुपचाप आ ही जाना..फिर, फिर! फिर क्या ? हम दुनो, हमरी स्प्लेंडर में बैठ लोंग ड्राइव पर चलेंगे ! सड़क के किनारे घास-फूस से बनी घोसलेनुमा दुकान पे पत्थर में बैठ चाय की चुस्कियां लेंगे… नदी के पास चाची के दुकान में जला हुआ मक्का खायेंगे, गन्ने का जूस पियेंगे और….और….और….और.. वीरान पगडंडी वाली सड़क के बीचों-बीच ढलती सूर्य के लिलिमा युक्त प्रकाश में लाल होकर तुम हमको hug कर देना….और…. और…..गले लगाते हुए, जब हमारी दिलो की धड़कन, तुमारी दिल की धड़कनो संग लेफ्ट-राईट वाला कदमताल करें न…. तब मेरे कान में धीरे से ये गीत गुनगुना देना……..
“तुम मेरे हो इस पल मेरे हो,
कल शायद ये आलम ना रहे,
कुछ ऐसा हो तुम तुम ना रहो,
कुछ ऐसा हो हम हम ना रहे,
ये रास्ते अलग हो जाये,
चलते चलते हम खो जोये…!
मैं फिर भी तुमको चाहूँगा,
मैं फिर भी तुमको चाहूंगा…!”
बस….बस…बस…….कसम गंगा मैया की…जिंदगी भर तुम्हारा टेड्डी बन के रहेंगे…. और, और, और….. इस जन्म के लिए ही नहीं, अगले सात जन्मो तक कुछ नही चाहिए बस ! और…..और…. तुम जौन-सा भी चॉकलेट बोलोगे न..ऊ खरीदेंगे। तुम जो बोलोगी, वही होगा… दिन बोलों तो दिन, और रात…………!
अच्छा, तुम भूलना नही, बहुत भुलक्कड़ भी तो हो न यार..कितनी बार दूध चूल्हे पर चढ़ाकर भूल जाती थी।सो जल्दी सो रहे हैं हम…. पक्का.. प्रॉमिस….
और हां हैप्पी प्रॉमिस डे ❤
© Pawan Belala 2018
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Bahut khoob
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ThanX SanJeet Ji
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Nicely penned… 🙂
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Thank U ma’am 🙏
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bahut khub likha hai.
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Apke sneh yukt protsahan k liye dhanyawad….🙏
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