डिअर फगुनिया,
उमस भरी आजकल की लौ वोल्टेज रातों में करवटे दाएं से बाएं और बाएं से दाएं बदलते हुए रात बिताने वाला, तुम्हारे इस इश्क़फिरे गुलाम की ओर से सुबह की गुड़ वाली मॉर्निंग, दोपहर में हैप्पी वाली आफ्टरनून और शाम को कूल वाली इवनिंग स्वीकार करो देवी । बाकी गुड नाईट और स्वीट ड्रीम रतिया को हम व्हाट्सएप पर बतिया लेंगे। और तुम रात के अंधेरे में टिमटिमाते तारों को निहारते हुए एक बार फिर वहीं गाना गुनगुनाना…..भला है बुरा है जैसा भी है , मेरा पति तो मेरा देवता है।
उफ्फ्फ, कितनी गर्मी पढ़ रही हैं बेबी। हमको तो लगता हैं, ई 43℃ में तंदूर टाइप के भट्ठे में मेरा भुजिया ही बन जायेगा। भगवान भी न, हम गरीबों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। पसीने से स्नान करते-करते, ऐसा प्रतीत होता हैं कि डिहाइड्रेशन से हमरा प्राण-पाखी बहुत जल्द फुर्र ही हो जाएगा।
ज्यादा टेंसनिया मत जाना, तुम जैसी सावित्री के रहते यमराज देवता हमको मजाल हैं कि छू ले। बस…तुम अपना ख्याल रखना, बाकि तुम्हारे प्रेम में जिंदगी जिंदाबाद थीं, जिंदाबाद हैं और जिंदाबाद रहेगी।
अब 10 से 15 दिन में हमारे उत्तर भारत में लू भी चलना आरंभ हो जाएगा। यथासंभव धूप में कम ही बाहर निकलना तुम, और जब निकलो सन स्कीन क्रीम से लिपाई-पुताई कर दुप्पटे से चेहरे को लपेट नक्सलियों की तरह, ग्लब्स-वलब्स लगा कर ही बाहर आना। हम नहीं चाहते कि तुम्हारे गोरे-गोरे मासूम से चांद टाइप के मुखड़े पर किसी की काली परछाई पड़े..और…न ही सूर्य देवता की पॉवरफुल पराबैंगनी किरणों का कोपभाजन बनना पड़े। और हाँ, वो 200ml वाली वॉटर बॉटल… हाहाहाहा😂😂, कॉलेज के दिनों वाली उस बेचारी बोतल को, अब तो बदल कर थोड़ा वॉल्यूम बढ़ा लो…देवी।
एक्चुअली आज, तनिक सीरियस टाइप का कुछ बतियाने के लिए पत्राचार कर रहे हैं। कई बार लिख-लिखकर बैकस्पेस बटन से शब्दों को मिटाया हैं मैंने। मेरी प्यारी परी, देख रही हो न आजकल कैसे शादी-विवाह जैसे आयोजनों की बाढ़ सी आयीं हुईं हैं। गली-मोहल्लों, गांव-जवार, मंदिर-धर्मशाला, बाजार-रसोईया, टेंट-साउंड हरेक जगह विवाह आयोजनों को लेकर अजीबोगरीब अफरातफरी सा माहौल बना हैं। पिताश्री के शुभ नाम दर्ज दर्जनों लिफाफों में विवाह के आमंत्रण-पत्रों की नित्यप्रतिदिन घर में बमबारी सी हो रही हैं। दिस डेट को तिलक, that तारीख़ को शादी और उसके दो दिनों के बाद प्रीतिभोज वाले रिवाज को पुराने दिनों की बात बता कर, अब एक ही दिन में चट मंगनी पट बिहा का प्रचलन मार्केट में धूम मचा रहीं हैं। पुराने समय की तरह उपहार स्वरूप वर-वधू के लिए साड़ी-धोती से लेकर श्रृंगार सामग्रियों के साथ साथ सांसारिक जीवन में उपयोगी कांसा-पीतल की चमचमाती वर्तन-वस्तुओं का स्थान आजकल के एक रुपया का सिक्का सटे रंगबिरंगे डिजाइनदार लिफाफों ने ले लिया है। मेरा पीएचडी कहता हैं कि पिछले दिनों बैंको और एटीएम मशीनों में कैश के किल्लत की एक बड़ी मुख्य वजह, पाँच सौ रुपये के नए-नवेले काग़जी नोटों की खपत ₹501 से लेकर ₹1001 के लिफाफों को भरने के कारण हुई होगी। कोई नहीं, हमलोग अपनी शादी में Paytm, Mobikwik, PhonePay और SBI का POS मशीन लेकर बैठेंगे….😂। और ऊ स्कैन करके फण्ड ट्रांसफर करने वाला BHIM App भी।
शादी से याद आया, क्या हमलोग शादी करेंगे..? क्या हमारी शादी हो पाएगी..? आखिर हम शादी करें क्यों..? मैं जानता हूँ कि दुल्हन बनना तुम्हारे जीवन का बचपन से देखा सबसे बड़ा सपना हैं। सास बहू के सीरियल और फिल्मों के शादी वाले दृश्यों को देखकर, तुम किस कदर रोमांचित होती हो, मेरे लिए इस अनुभव को कलमबद्ध करना असंभव सा हैं। तेरी आँखों की जादूगरी से आंखें चार कर चुका मन फरमाता हैं कि इस अनकंडीशनल इनफिनिट लव में नित्यप्रतिदिन तुम्हारे संग जलते हवनकुण्ड पर सात-सात परिक्रमा कर लू…केवल सात ही परिक्रमा करने का यह सामाजिक बंधन आखिर क्यों ? मैं तो सत्तर परिक्रमा करना चाहता हूँ। अरे सत्तर नहीं..! सात सौ, सात हजार, सात लाख, सात करोड़…. अरे फिर प्रेम में ये अंकों की गिनती क्यों ? ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड जब तक आती-जाती रहे, तबतक मैं परिक्रमा करते रहना चाहता हूँ…वो भी न तो कभी तुम्हारे पीछे-पीछे और न ही कभी आगे, अपितु साथ साथ, कदम से कदम मिलाते हुए लेफ्ट-राइट वाली कदमताल मेरी प्यारी हंसिनी।
परंतु मैं इन सामाजिक बंधनों के प्रति तनिक नास्तिक सा बन बैठा हूँ आजकल, और दिन-प्रतिदिन नकारात्मकता गहरी सी होती जा रही हैं। प्रेम में जहाँ मुझे असीम संभावनाएं व विश्वास दिखाई देता हैं किंतु वहीं पति बन मैं तुम्हारे प्रति अपने असीम प्रेम की पूर्णाहुति नहीं देना चाहता। मैं पति स्वरूप में, अब तक किसी के द्वारा नहीं देखें हुए कल की चिंता में कुछ भी बचत करना नहीं चाहता, बल्कि फकीर सा प्रेमी बनकर जीवन पर्यन्त तुम्हारी अरदास करते हुए प्रेम खर्चने में विश्वास रखता हूँ। तुम मेरे जीवन माला की वह मजबूत सी धागा हो, जिसे प्रेम सुगंध युक्त नाना प्रकार के रंगबिरंगी पुष्पों से मुझे पिरोना हैं। मैं तुम्हारे ख़ातिर न तो शाहजहां बनकर ताजमहल बनाना चाहता हूँ और न ही रोमियो, हीर, मजनुआ टाइप का नाम कमाने की चाह हैं। मुझे तो दशरथ मांझी बाबा सा गुमनाम रह कर तुम्हारे प्रेम में कुछ कर जाना है।
मुझ सूरज की तू सांझ प्रिय, सपनों की तू पहचान प्रिय। प्रेम के प्रकाश से जगमग जगत के, दिया और बाती हम।
मैं तुम्हारे पके टमाटर से गालों में अपनी उंगलियों को फेरने की चाह रखता हूँ, हथेली और थप्पड़ कभी नहीं। एक प्रेमी अपनी मासूका पर एक खरोंच तक बर्दाश्त नहीं कर सकता, पर वही रिश्तों के भवर जाल में उलझ अपनी हंसी ख़ुशी को जिम्मेदारी नामक पत्थर के तले दफ़न कर झूठी मुस्कान धारण करने वाला प्रेमी से पति-परमेश्वर बन चुका ये प्राणी कई बार अपनी अर्धांगिनी के प्रति अविश्वसनीय क्रूर कारनामा संपादित कर अखबारों के पन्नों की सुर्खियां बन बैठता हैं। पति-पत्नी के सामाजिक चोले में इसकी की संभावना हैं कि कल हम-तुम जीते-जी कानूनी रूप से तलाकशुदा हो जाये। परंतु ढाई अक्षरों से बने प्यार, इश्क़, प्रेम से बढ़ मोहब्बत की आधी-पूरी कहानियों में भी तुम मेरे नज्म-नज्म में सांस बनकर रूह में समाई हुई रहोगी। पति-पत्नी को तो एक दिन सुपुर्द ए राख होकर खाक हो जाना हैं, परन्तु प्रेम तो प्रेम हैं। ये अमर प्रेम व संबंधित कहानियां ही तो हैं, जो हवा में घुलकर युग-युगांतर तक पीढ़ियों को महकाते रहेगी। कई बार रिश्तेदारी में वेवफा होकर पति पत्नी अलग अलग जन्नत की सफर पर पहले निकल पड़ते हैं। पति-पत्नी के रिश्ते में अपने को जकड़ मैं तुम्हारी अनुपस्थिति में न तो विधुर बनना चाहता हूँ, न ही कभी तुम्हें विधवा रूप में विलाप करने की सोच भी सकता हूँ। प्रेम अधूरी ही सही, मगर मुक्कमल होनी चाहिए।
बिछड़ने का इरादा है तो मुझ से मशवरा कर लो।
मोहब्बत में कोई भी फ़ैसला ज़ाती नहीं होता
…!
–अफजल खान
ऐ हमारी ऐश्वर्या राय, तुम हमेशा शानदार…जबरदस्त…जिंदाबाद..
जबरदस्त…जिंदाबाद.. रहो,
क्या पता कल हम रहे या ना रहे।
क्योंकि हम कल की तरह आज भी तुमको इतना चाहते हैं, इतना चाहते हैं, इतना चाहते हैं, इतना चाहते हैं…का बताये कि कितना चाहते हैं…सीना चिर के दिखाई दे हनुमान जी की तरह।
तुम्हारा मांझी…😍😘❤️
–––––––––––––––––––––––––––––––
©पवन Belala Says 2018
यदि आपको हमारी यह रचना पसंद हैं, तो 9798942727 पर कम से कम ₹1 का सहयोग Paytm करे।
हर बार की तरह इस बार भी जबर्दस्त लेखन 👌👏👏
LikeLiked by 2 people
धन्यवाद shambhavi🙏
LikeLiked by 1 person
Amazing ❤️
LikeLiked by 1 person
😇
Thanks Akriti 🙏
LikeLiked by 1 person
बहुत ख़ूब
LikeLiked by 1 person
Dhanyawad Shantanu🙏
LikeLiked by 1 person
Behtarin bhayee…….English aur Hindi ka bejod sangam.
LikeLiked by 1 person
Bahut bahut dhanyawad 🙏
LikeLiked by 1 person
This is good. Such a long time after which I read something in Hindi. It’s refreshing !! Nice to make your acquaintance. Hoping to see more of you here !
LikeLiked by 2 people
Thanks a lot dear…🙏
Sure… I will try to post something different here..
With lots of love ❤️
LikeLiked by 2 people
See you around now 🙂
LikeLiked by 2 people